मंगलवार, 25 मई 2010

अमृत है मट्ठा


शुभी नीमामट्ठा (छाछ) धरती का अमृत है। यह शरीर की बीमारियों को दूर भगाता है। बाजार में बिकने वाले महँगे शीतल पेयों से छाछ लाख गुना अच्छी है। इसके कई फायदे हैं। मट्ठे का प्रयोग कई तरह से किया जा सकता है- हिचकी चलने पर मट्ठे में एक चम्मच सौंठ डालकर सेवन करें। उल्टी होने पर मट्ठे के साथ जायफल घिसकर चाटें। गर्मी में रोजाना दो समय पतला मट्ठा लेकर उसमें भूना जीरा मिलाकर पीने से गर्मी से राहत मिलती है। मट्ठे में आटा मिलाकर लेप करने से झुर्रियाँ कम पड़ती हैं। कहा जाता है कि मुँहासे होने पर गुलाब की जड़ मट्ठे में पीसकर मुँह पर लगानी चाहिए। पैर की एड़ियों के फटने पर मट्ठे का ताजा मक्खन लगाने से आराम मिलता है। सिर के बाल झड़ने पर बासी छाछ से सप्ताह में दो दिन बालों को धोना चाहिए। मोटापा अधिक होने पर छाछ को छौंककर सेंधा नमक डालकर पीना चाहिए। सुबह-शाम मट्ठा या दही की पतली लस्सी पीने से स्मरण शक्ति तेज होती है। उच्च रक्तचाप होने पर गिलोय का चूर्ण मट्ठे के साथ लेना चाहिए। अत्यधिक मानसिक तनाव होने पर छाछ का सेवन लाभकारी होता है। जले हुए स्थान पर तुरंत छाछ या मट्ठा मलना चाहिए। विषैले जीव-जंतु के काटने पर मट्ठे में तम्बाकू मिलाकर लगाना चाहिए। कहा जाता है किसी ने जहर खा लिया हो तो उसे बार-बार फीका मट्ठा पिलाना चाहिए। परंतु डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। अमलतास के पत्ते छाछ में पीस लें और शरीर पर मलें। कुछ देर बाद स्नान करें। शरीर की खुजली नष्ट हो जाती है।

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